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*मुन्सी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता* _ख्वाहिश नहीं मुझे_ _मशहूर होने की, _आप मुझे पहचानते हो_ _बस इतना ही ...
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मां पर इतने सुंदर सुंदर बोल...एकसाथ... *गिनती नही आती मेरी माँ को यारों,* *मैं एक रोटी मांगता हूँ वो हमेशा दो ही लेकर आती ...

























