45 वर्ष से अधिक उम्र वाले इस सन्देश को सावधानी पूर्वक पढ़ें
45 वर्ष से अधिक उम्र वालों के लिए जीवन और मृत्यु को आनंदमय और कल्याणकारी बनाने हेतु कुछ महत्वपूर्ण नियम और सुझाव हैं। ये सुझाव जीवन के विभिन्न पहलुओं—शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, और सामाजिक—का ध्यान रखते हुए बनाए गए हैं:
1. स्वास्थ्य और जीवनशैली
- नियमित व्यायाम: योग, प्राणायाम, और हल्की कसरत जैसे गतिविधियां शरीर को स्वस्थ और मन को शांत रखती हैं। रोज़ाना कम से कम 30 मिनट शारीरिक गतिविधि करें।
- आहार संतुलन: सात्विक और पौष्टिक भोजन का सेवन करें। ताजे फल, सब्जियां, और साबुत अनाज को भोजन में शामिल करें। तला-भुना, मसालेदार और जंक फूड से बचें।
- पर्याप्त नींद: रात में 6-8 घंटे की गहरी नींद लें। सोने और उठने का समय नियमित रखें।
- स्वास्थ्य जांच: वार्षिक स्वास्थ्य जांच करवाएं और किसी भी बीमारी के लक्षण को नजरअंदाज न करें।
2. मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य
- सकारात्मक सोच: अपनी सोच को सकारात्मक रखें। नकारात्मक विचारों और भावनाओं से बचने का प्रयास करें।
- ध्यान और ध्यानाभ्यास: दिन में कम से कम 10-15 मिनट ध्यान लगाएं। यह तनाव और चिंता को कम करने में सहायक है।
- सामाजिक संपर्क: परिवार और मित्रों के साथ समय बिताएं। अकेलेपन से बचें।
- सीमित तकनीकी उपयोग: डिजिटल उपकरणों का सीमित उपयोग करें, विशेषकर सोने के समय से पहले।
3. आध्यात्मिक जागरूकता
- धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियां: अपनी आस्था के अनुसार पूजा, प्रार्थना, या ध्यान करें। भगवद गीता, उपनिषद, और अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें।
- सेवा का भाव: दूसरों की मदद करें। गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करने से आंतरिक शांति और सुख मिलता है।
- मृत्यु की स्वीकृति: मृत्यु को जीवन का स्वाभाविक हिस्सा मानकर उसके प्रति भयमुक्त रहें।
4. सामाजिक और व्यक्तिगत योगदान
- परिवार में मार्गदर्शन: अनुभव का उपयोग करते हुए अपने बच्चों और परिवार के लिए एक अच्छा मार्गदर्शक बनें।
- आर्थिक योजना: अपनी आय और संपत्ति का सही प्रबंधन करें। वसीयत और अन्य कानूनी दस्तावेज समय पर तैयार करें।
- समाज सेवा: समय और साधनों का उपयोग समाज के कल्याण के लिए करें।
5. आध्यात्मिक उपाय
- जप और साधना: अपने इष्ट देवता का नाम जपें। "ॐ नमः शिवाय" या "ॐ" का जप मानसिक शांति देता है।
- तीर्थ यात्रा: जीवन में समय निकालकर धार्मिक स्थलों की यात्रा करें।
- दान और पुण्य: नियमित रूप से अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें। यह आत्मिक संतोष और पुण्य अर्जित करता है।
6. जीवन का उद्देश्य समझें
- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष: इन चार पुरुषार्थों का संतुलित पालन करें।
- वर्तमान में जीना: बीते हुए समय का अफसोस और भविष्य की चिंता छोड़कर वर्तमान में खुश रहना सीखें।
- ज्ञान प्राप्ति: नए विषयों को सीखें और अपने दायरे को बढ़ाएं।
इन नियमों को अपनाकर न केवल जीवन आनंदमय बन सकता है, बल्कि मृत्यु के प्रति भी एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। यह मार्ग जीवन को सार्थक और शांतिपूर्ण बनाता है।
*क्योंकि यह उनके आने वाले जीवन के लिए अत्यन्त ही महत्वपूर्ण है...*
*सुखमय वृद्धावस्था के लिए*
*1* अपने स्वयं के स्थायी स्थान पर रहें ताकि स्वतंत्र जीवन जीने का आनंद ले सकें!
*2* अपना बैंक बेलेंस और भौतिक संपत्ति अपने पास रखें! अति प्रेम में पड़कर किसी के नाम करने की ना सोचें।
*3* अपने बच्चों के इस वादे पर निर्भर ना रहें कि वो वृद्धावस्था में आपकी सेवा करेंगे, क्योंकि समय बदलने के साथ उनकी प्राथमिकता भी बदल जाती है और कभी कभी चाहते हुए भी वे कुछ नहीं कर पाते।
*4* उन लोगों को अपने मित्र समूह में शामिल रखें जो आपके जीवन को प्रसन्न देखना चाहते हैं यानी सच्चे हितैषी हों।
*5* किसी के साथ अपनी तुलना ना करें और ना ही किसी से कोई उम्मीद रखें...l
*6* अपनी संतानों के जीवन में दखल अन्दाजी ना करें, उन्हें अपने तरीके से अपना जीवन जीने दें और आप अपने तरीके से अपना जीवन जिऐं .l
*7* अपनी वृद्धावस्था को आधार बनाकर किसी से सेवा करवाने, सम्मान पाने का प्रयास कभी ना करें।
*8* लोगों की बातें सुनें लेकिन अपने स्वतंत्र विचारों के आधार पर निर्णय लें।
*9* प्रार्थना करें लेकिन भीख ना मांगे, यहाँ तक कि भगवान से भी नहीं। अगर भगवान से कुछ मांगे तो सिर्फ माफ़ी और हिम्मत..l
*10* अपने स्वास्थ्य का स्वयं ध्यान रखें, चिकित्सीय परीक्षण के अलावा अपने आर्थिक सामर्थ्य अनुसार अच्छा पौष्टिक भोजन खाएं और यथा सम्भव अपना काम अपने हाथों से करें! छोटे कष्टों पर ध्यान ना दें, उम्र के साथ छोटी मोटी शारीरिक परेशानीयां चलती रहती हैं।
*11* अपने जीवन को उल्लास से जीने का प्रयत्न करें खुद प्रसन्न रहने की चेष्टा करें और दूसरों को प्रसन्न रखें।
*12* प्रति वर्ष अपने जीवन साथी केे साथ भ्रमण/ छोटी यात्रा पर एक या अधिक बार अवश्य जाएं, इससे आपका जीने का नजरिया बदलेगा...l
*13* किसी भी टकराव को टालें एवं तनाव रहित जीवन जिऐं...l
*14* जीवन में स्थायी कुछ भी नहीं है चिंताएं भी नहीं इस बात का विश्वास करें !
*14* जीवन में स्थायी कुछ भी नहीं है चिंताएं भी नहीं इस बात का विश्वास करें !
*15* अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को रिटायरमेंट तक पूरा कर लें, याद रखें जब तक आप अपने लिए जीना शुरू नहीं करते हैं तब तक आप जीवित नहीं हैं!
_*खुशनुमा जीवन की शुभकामनाओं के साथ*_
इन दसों सूत्रों को पढ़ने के बाद पता चला कि सचमुच खुशहाल ज़िंदगी और शानदार मौत के लिए ये सूत्र बहुत ज़रूरी हैं।
1. *अच्छा स्वास्थ्य* - अगर आप पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं, तो आप कभी खुश नहीं रह सकते। बीमारी छोटी हो या बड़ी, ये आपकी खुशियां छीन लेती हैं।
2. *ठीक ठाक बैंक बैलेंस* - अच्छी ज़िंदगी जीने के लिए बहुत अमीर होना ज़रूरी नहीं। पर इतना पैसा बैंक में हो कि आप आप जब चाहे बाहर खाना खा पाएं, सिनेमा देख पाएं, समंदर और पहाड़ घूमने जा पाएं, तो आप खुश रह सकते हैं। उधारी में जीना आदमी को खुद की निगाहों में गिरा देता है।
3. *अपना मकान* - मकान चाहे छोटा हो या बड़ा, वो आपका अपना होना चाहिए। अगर उसमें छोटा सा बगीचा हो तो आपकी ज़िंदगी बेहद खुशहाल हो सकती है।
4. *समझदार जीवन साथी* - जिनकी ज़िंदगी में समझदार जीवन साथी होते हैं, जो एक-दूसरे को ठीक से समझते हैं, उनकी ज़िंदगी बेहद खुशहाल होती है, वर्ना ज़िंदगी में सबकुछ धरा का धरा रह जाता है, सारी खुशियां काफूर हो जाती हैं। हर वक्त कुढ़ते रहने से बेहतर है अपना अलग रास्ता चुन लेना।
5. *दूसरों की उपलब्धियों से न जलना* - कोई आपसे आगे निकल जाए, किसी के पास आपसे ज़्यादा पैसा हो जाए, तो उससे जले नहीं। दूसरों से खुद की तुलना करने से आपकी खुशियां खत्म होने लगती हैं।
6. *गप से बचना* - लोगों को गपशप के ज़रिए अपने पर हावी मत होने दीजिए। जब तक आप उनसे छुटकारा पाएंगे, आप बहुत थक चुके होंगे और दूसरों की चुगली-निंदा से आपके दिमाग में कहीं न कहीं ज़हर भर चुका होगा।
7. *अच्छी आदत* - कोई न कोई ऐसी हॉबी विकसित करें, जिसे करने में आपको मज़ा आता हो, मसलन गार्डेनिंग, पढ़ना, लिखना। फालतू बातों में समय बर्बाद करना ज़िंदगी के साथ किया जाने वाला सबसे बड़ा अपराध है। कुछ न कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे आपको खुशी मिले और उसे आप अपनी आदत में शुमार करके नियमित रूप से करें।
8. *ध्यान* - रोज सुबह कम से कम दस मिनट ध्यान करना चाहिए। ये दस मिनट आपको अपने ऊपर खर्च करने चाहिए। इसी तरह शाम को भी कुछ वक्त अपने साथ गुजारें। इस तरह आप खुद को जान पाएंगे।
9. *क्रोध से बचना* - कभी अपना गुस्सा ज़ाहिर न करें। जब कभी आपको लगे कि आपका दोस्त आपके साथ तल्ख हो रहा है, तो आप उस वक्त उससे दूर हो जाएं, बजाय इसके कि वहीं उसका हिसाब-किताब करने पर आमदा हो जाएं।
10. *अंतिम समय* - जब यमराज दस्तक दें, तो बिना किसी दुख, शोक या अफसोस के साथ उनके साथ निकल पड़ना चाहिए अंतिम यात्रा पर, खुशी-खुशी। शोक, मोह के बंधन से मुक्त हो कर जो यहां से निकलता है, उसी का जीवन सफल होता है।









