🌷 स्वास्थवर्धक विशेष प्रयोग 🌷
➡ यौवनदाता : १० – १५ ग्राम गाय के घी के साथ २५ ग्राम आँवले का चूर्ण, ५ ग्राम शहद तथा १० ग्राम तिल का तेल मिलाकर प्रात: सेवन करने से दीर्घकाल तक युवावस्था बनी रहती है |
➡ यादशक्ति बढ़ानेे हेतु : प्रतिदिन १५ से २० मि.ली. तुलसी रस व एक चम्मच च्यवनप्राश का थोडा-सा घोल बना के सारस्वत्य मंत्र अथवा गुरुमंत्र जपकर पियें | ४० दिन में चमत्कारिक फायदा होगा |
➡ वीर्यवर्धक योग : ४ – ५ खजूर रात को पानी में भिगो के रखें | सुबह १ चम्मच मक्खन, १ इलायची व थोडा-सा जायफल पानी में घिसकर उसमें मिला के खाली पेट लें | यह वीर्यवर्धक प्रयोग है |
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पृथ्वी के अमृतः गोदुग्ध
गोदुग्ध🥛🥛🥛🥛🥛
आजकल पाउडर का अथवा सार तत्त्व निकाला हुआ या गाढ़ा माना जानेवाला भैंस का दूध पीने का फैशन चल पड़ा है इसलिए लोगों की बुद्धि भी भैंसबुद्धि बनती जा रही है। शास्त्रों ने व वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया है कि गाय का दूध अमृत के समान है व अनेक रोगों का स्वतः सिद्ध उपचार है। गाय का दूध सेवन करने से किशोर-किशोरियों की शरीर की लम्बाई व पुष्टता उचित मात्रा में विकसित होती है, हड्डियाँ भी मजबूत बनती हैं एवं बुद्धि का विलक्षण विकास होता है। आयुर्वेद में दूध में शहद डालकर पीना विपरीत आहार माना गया है, अतः दूध और शहद एक साथ नहीं पीना चाहिए।
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भारतीय नस्ल की गाय की रीढ़ में सूर्यकेतु नामक एक विशेष नाड़ी होती है। जब इस पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तब यह नाड़ी सूर्य किरणों से सुवर्ण के सूक्ष्म कणों का निर्माण करती है। इसीलिए गाय के दूध-मक्खन तथा घी में पीलापन रहता है। यह पीलापन शरीर में उपस्थित विष को समाप्त अथवा बेअसर करने में लाभदायी सिद्ध होता है।
गोदुग्ध का नित्य सेवन अंग्रेजी दवाओं के सेवन से शरीर में उत्पन्न होने वाले दुष्प्रभावों (साईड इफेक्टस) का भी शमन करता है।
गोदुग्ध में प्रोटीन की 'अमीनो एसिड' की प्रचुर मात्रा होने से यह सुपाच्य तथा चरबी की मात्रा कम होने से कोलेस्ट्रोल रहित होता है।
गाय के दूध में उपस्थित 'सेरीब्रोसाइडस' मस्तिष्क को ताजा रखने एवं बौद्धिक क्षमता बढ़ाने से लिए उत्तम टॉनिक का निर्माण करते हैं।
रूस के वैज्ञानिक गाय के दूध को आण्विक विस्फोट से उत्पन्न विकिरण के शरीर पर पड़े दुष्प्रभाव को शमन करने वाला मानते हैं।
कारनेल विश्वविद्यालय में पशुविज्ञान विशेषज्ञ प्रोफेसर रोनाल्ड गोरायटे के अनुसार गाय के दूध में उपस्थित MDGI प्रोटीन शरीर की कोशिकाओं को कैंसरयुक्त होने से बचती है।
गोदुग्ध पर अनेक देशों में और भी नये-नये परीक्षण हो रहे हैं तथा सभी परीक्षणों से इसकी नवीन विशेषताएँ प्रकट हो रही हैं। धीरे-धीरे वैज्ञानिकों की समझ में आ रहा है कि भारतीय ऋषियों ने गाय को माता, अवध्य तथा पूजनीय क्यों कहा है।
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[8:55 PM, 2/23/2018] +91 92357 32623: 🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹
🌻 फरवरी Month से वसंत ऋतु प्रारंभ Hoti hai ।
🍃 ऋतुराज वसंत शीत व उष्णता का संधिकाल है | इसमें शीत ऋतु का संचित कफ सूर्य की संतप्त किरणों से पिघलने लगता है, जिससे जठराग्नि मंद हो जाती है और सर्दी-खाँसी, उल्टी-दस्त आदि अनेक रोग उत्पन्न होने लगते हैं | अतः इस समय आहार-विहार की विशेष सावधानी रखनी चाहिए |
🍝 आहार : इस ऋतु में देर से पचनेवाले, शीतल पदार्थ, दिन में सोना, स्निग्ध अर्थात घी-तेल में बने तथा अम्ल व रसप्रधान पदार्थो का सेवन न करें क्योंकि ये सभी कफ वर्धक हैं | (अष्टांगहृदय ३.२६)
🍃 वसंत में मिठाई, सूखा मेवा, खट्टे-मीठे फल, दही, आईसक्रीम तथा गरिष्ठ भोजन का सेवन वर्जित है | इन दिनों में शीघ्र पचनेवाले, अल्प तेल व घी में बने, तीखे, कड़वे, कसैले, उष्ण पदार्थों जैसे- लाई, मुरमुरे, जौ, भुने हुए चने, पुराना गेहूँ, चना, मूँग , अदरक, सौंठ, अजवायन, हल्दी, पीपरामूल, काली मिर्च, हींग, सूरन, सहजन की फली, करेला, मेथी, ताजी मूली, तिल का तेल, शहद, गौमूत्र आदि कफनाशकपदार्थों का सेवन करें | भरपेट भोजन ना करें | नमक का कम उपयोग तथा १५ दिनों में एक कड़क उपवास स्वास्थ्य के लिए हितकारी है | उपवास के नाम पर पेट में फलाहार ठूँसना बुद्धिमानी नही है |
➡ विहार : ऋतु-परिवर्तन से शरीर में उत्पन्न भारीपन तथा आलस्य को दूर करने के लिए सूर्योदय से पूर्व उठना, व्यायाम, दौड़, तेज चलना, आसन तथा प्राणायाम (विशेषकर सूर्यभेदी) लाभदायी है | तिल के तेल से मालिश कर सप्तधान उबटन से स्नान करना स्वास्थ्य की कुंजी है |
🌷 वसंत ऋतु के विशेष प्रयोग 🌷
🔶 २ से ३ ग्राम हरड चूर्ण में समभाग मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से 'रसायन' के लाभ प्राप्त होते हैं |
🔶 १५ से २० नीम के पत्ते तथा २-३ काली मिर्च १५-२० दिन चबाकर खाने से वर्षभर चर्मरोग, ज्वर, रक्तविकार आदि रोगों से रक्षा होती है |
🔶 अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े कर उसमें नींबू का रस और थोडा नमक मिला के सेवन करने से मंदाग्नि दूर होती है |
🔶 ५ ग्राम रात को भिगोयी हुई मेथी सुबह चबाकर पानी पीने से पेट की गैस दूर होती है |
🔶 रीठे का छिलका पानी में पीसकर २-२ बूँद नाक में टपकाने से आधासीसी (सिर) का दर्द दूर होता है |
🔶 १० ग्राम घी में १५ ग्राम गुड़ मिलाकर लेने से सूखी खाँसी में राहत मिलती है |
🔶 १० ग्राम शहद, २ ग्राम सोंठ व १ ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम चाटने से बलगमी खाँसी दूर होती है |
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पृथ्वी के अमृतः गोदुग्ध
गोदुग्ध🥛🥛🥛🥛🥛
आजकल पाउडर का अथवा सार तत्त्व निकाला हुआ या गाढ़ा माना जानेवाला भैंस का दूध पीने का फैशन चल पड़ा है इसलिए लोगों की बुद्धि भी भैंसबुद्धि बनती जा रही है। शास्त्रों ने व वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया है कि गाय का दूध अमृत के समान है व अनेक रोगों का स्वतः सिद्ध उपचार है। गाय का दूध सेवन करने से किशोर-किशोरियों की शरीर की लम्बाई व पुष्टता उचित मात्रा में विकसित होती है, हड्डियाँ भी मजबूत बनती हैं एवं बुद्धि का विलक्षण विकास होता है। आयुर्वेद में दूध में शहद डालकर पीना विपरीत आहार माना गया है, अतः दूध और शहद एक साथ नहीं पीना चाहिए।
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भारतीय नस्ल की गाय की रीढ़ में सूर्यकेतु नामक एक विशेष नाड़ी होती है। जब इस पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तब यह नाड़ी सूर्य किरणों से सुवर्ण के सूक्ष्म कणों का निर्माण करती है। इसीलिए गाय के दूध-मक्खन तथा घी में पीलापन रहता है। यह पीलापन शरीर में उपस्थित विष को समाप्त अथवा बेअसर करने में लाभदायी सिद्ध होता है।
गोदुग्ध का नित्य सेवन अंग्रेजी दवाओं के सेवन से शरीर में उत्पन्न होने वाले दुष्प्रभावों (साईड इफेक्टस) का भी शमन करता है।
गोदुग्ध में प्रोटीन की 'अमीनो एसिड' की प्रचुर मात्रा होने से यह सुपाच्य तथा चरबी की मात्रा कम होने से कोलेस्ट्रोल रहित होता है।
गाय के दूध में उपस्थित 'सेरीब्रोसाइडस' मस्तिष्क को ताजा रखने एवं बौद्धिक क्षमता बढ़ाने से लिए उत्तम टॉनिक का निर्माण करते हैं।
रूस के वैज्ञानिक गाय के दूध को आण्विक विस्फोट से उत्पन्न विकिरण के शरीर पर पड़े दुष्प्रभाव को शमन करने वाला मानते हैं।
कारनेल विश्वविद्यालय में पशुविज्ञान विशेषज्ञ प्रोफेसर रोनाल्ड गोरायटे के अनुसार गाय के दूध में उपस्थित MDGI प्रोटीन शरीर की कोशिकाओं को कैंसरयुक्त होने से बचती है।
गोदुग्ध पर अनेक देशों में और भी नये-नये परीक्षण हो रहे हैं तथा सभी परीक्षणों से इसकी नवीन विशेषताएँ प्रकट हो रही हैं। धीरे-धीरे वैज्ञानिकों की समझ में आ रहा है कि भारतीय ऋषियों ने गाय को माता, अवध्य तथा पूजनीय क्यों कहा है।
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➡ यौवनदाता : १० – १५ ग्राम गाय के घी के साथ २५ ग्राम आँवले का चूर्ण, ५ ग्राम शहद तथा १० ग्राम तिल का तेल मिलाकर प्रात: सेवन करने से दीर्घकाल तक युवावस्था बनी रहती है |
➡ यादशक्ति बढ़ानेे हेतु : प्रतिदिन १५ से २० मि.ली. तुलसी रस व एक चम्मच च्यवनप्राश का थोडा-सा घोल बना के सारस्वत्य मंत्र अथवा गुरुमंत्र जपकर पियें | ४० दिन में चमत्कारिक फायदा होगा |
➡ वीर्यवर्धक योग : ४ – ५ खजूर रात को पानी में भिगो के रखें | सुबह १ चम्मच मक्खन, १ इलायची व थोडा-सा जायफल पानी में घिसकर उसमें मिला के खाली पेट लें | यह वीर्यवर्धक प्रयोग है |
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पृथ्वी के अमृतः गोदुग्ध
गोदुग्ध🥛🥛🥛🥛🥛
आजकल पाउडर का अथवा सार तत्त्व निकाला हुआ या गाढ़ा माना जानेवाला भैंस का दूध पीने का फैशन चल पड़ा है इसलिए लोगों की बुद्धि भी भैंसबुद्धि बनती जा रही है। शास्त्रों ने व वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया है कि गाय का दूध अमृत के समान है व अनेक रोगों का स्वतः सिद्ध उपचार है। गाय का दूध सेवन करने से किशोर-किशोरियों की शरीर की लम्बाई व पुष्टता उचित मात्रा में विकसित होती है, हड्डियाँ भी मजबूत बनती हैं एवं बुद्धि का विलक्षण विकास होता है। आयुर्वेद में दूध में शहद डालकर पीना विपरीत आहार माना गया है, अतः दूध और शहद एक साथ नहीं पीना चाहिए।
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भारतीय नस्ल की गाय की रीढ़ में सूर्यकेतु नामक एक विशेष नाड़ी होती है। जब इस पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तब यह नाड़ी सूर्य किरणों से सुवर्ण के सूक्ष्म कणों का निर्माण करती है। इसीलिए गाय के दूध-मक्खन तथा घी में पीलापन रहता है। यह पीलापन शरीर में उपस्थित विष को समाप्त अथवा बेअसर करने में लाभदायी सिद्ध होता है।
गोदुग्ध का नित्य सेवन अंग्रेजी दवाओं के सेवन से शरीर में उत्पन्न होने वाले दुष्प्रभावों (साईड इफेक्टस) का भी शमन करता है।
गोदुग्ध में प्रोटीन की 'अमीनो एसिड' की प्रचुर मात्रा होने से यह सुपाच्य तथा चरबी की मात्रा कम होने से कोलेस्ट्रोल रहित होता है।
गाय के दूध में उपस्थित 'सेरीब्रोसाइडस' मस्तिष्क को ताजा रखने एवं बौद्धिक क्षमता बढ़ाने से लिए उत्तम टॉनिक का निर्माण करते हैं।
रूस के वैज्ञानिक गाय के दूध को आण्विक विस्फोट से उत्पन्न विकिरण के शरीर पर पड़े दुष्प्रभाव को शमन करने वाला मानते हैं।
कारनेल विश्वविद्यालय में पशुविज्ञान विशेषज्ञ प्रोफेसर रोनाल्ड गोरायटे के अनुसार गाय के दूध में उपस्थित MDGI प्रोटीन शरीर की कोशिकाओं को कैंसरयुक्त होने से बचती है।
गोदुग्ध पर अनेक देशों में और भी नये-नये परीक्षण हो रहे हैं तथा सभी परीक्षणों से इसकी नवीन विशेषताएँ प्रकट हो रही हैं। धीरे-धीरे वैज्ञानिकों की समझ में आ रहा है कि भारतीय ऋषियों ने गाय को माता, अवध्य तथा पूजनीय क्यों कहा है।
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[8:55 PM, 2/23/2018] +91 92357 32623: 🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹
🌻 फरवरी Month से वसंत ऋतु प्रारंभ Hoti hai ।
🍃 ऋतुराज वसंत शीत व उष्णता का संधिकाल है | इसमें शीत ऋतु का संचित कफ सूर्य की संतप्त किरणों से पिघलने लगता है, जिससे जठराग्नि मंद हो जाती है और सर्दी-खाँसी, उल्टी-दस्त आदि अनेक रोग उत्पन्न होने लगते हैं | अतः इस समय आहार-विहार की विशेष सावधानी रखनी चाहिए |
🍝 आहार : इस ऋतु में देर से पचनेवाले, शीतल पदार्थ, दिन में सोना, स्निग्ध अर्थात घी-तेल में बने तथा अम्ल व रसप्रधान पदार्थो का सेवन न करें क्योंकि ये सभी कफ वर्धक हैं | (अष्टांगहृदय ३.२६)
🍃 वसंत में मिठाई, सूखा मेवा, खट्टे-मीठे फल, दही, आईसक्रीम तथा गरिष्ठ भोजन का सेवन वर्जित है | इन दिनों में शीघ्र पचनेवाले, अल्प तेल व घी में बने, तीखे, कड़वे, कसैले, उष्ण पदार्थों जैसे- लाई, मुरमुरे, जौ, भुने हुए चने, पुराना गेहूँ, चना, मूँग , अदरक, सौंठ, अजवायन, हल्दी, पीपरामूल, काली मिर्च, हींग, सूरन, सहजन की फली, करेला, मेथी, ताजी मूली, तिल का तेल, शहद, गौमूत्र आदि कफनाशकपदार्थों का सेवन करें | भरपेट भोजन ना करें | नमक का कम उपयोग तथा १५ दिनों में एक कड़क उपवास स्वास्थ्य के लिए हितकारी है | उपवास के नाम पर पेट में फलाहार ठूँसना बुद्धिमानी नही है |
➡ विहार : ऋतु-परिवर्तन से शरीर में उत्पन्न भारीपन तथा आलस्य को दूर करने के लिए सूर्योदय से पूर्व उठना, व्यायाम, दौड़, तेज चलना, आसन तथा प्राणायाम (विशेषकर सूर्यभेदी) लाभदायी है | तिल के तेल से मालिश कर सप्तधान उबटन से स्नान करना स्वास्थ्य की कुंजी है |
🌷 वसंत ऋतु के विशेष प्रयोग 🌷
🔶 २ से ३ ग्राम हरड चूर्ण में समभाग मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से 'रसायन' के लाभ प्राप्त होते हैं |
🔶 १५ से २० नीम के पत्ते तथा २-३ काली मिर्च १५-२० दिन चबाकर खाने से वर्षभर चर्मरोग, ज्वर, रक्तविकार आदि रोगों से रक्षा होती है |
🔶 अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े कर उसमें नींबू का रस और थोडा नमक मिला के सेवन करने से मंदाग्नि दूर होती है |
🔶 ५ ग्राम रात को भिगोयी हुई मेथी सुबह चबाकर पानी पीने से पेट की गैस दूर होती है |
🔶 रीठे का छिलका पानी में पीसकर २-२ बूँद नाक में टपकाने से आधासीसी (सिर) का दर्द दूर होता है |
🔶 १० ग्राम घी में १५ ग्राम गुड़ मिलाकर लेने से सूखी खाँसी में राहत मिलती है |
🔶 १० ग्राम शहद, २ ग्राम सोंठ व १ ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम चाटने से बलगमी खाँसी दूर होती है |
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पृथ्वी के अमृतः गोदुग्ध
गोदुग्ध🥛🥛🥛🥛🥛
आजकल पाउडर का अथवा सार तत्त्व निकाला हुआ या गाढ़ा माना जानेवाला भैंस का दूध पीने का फैशन चल पड़ा है इसलिए लोगों की बुद्धि भी भैंसबुद्धि बनती जा रही है। शास्त्रों ने व वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया है कि गाय का दूध अमृत के समान है व अनेक रोगों का स्वतः सिद्ध उपचार है। गाय का दूध सेवन करने से किशोर-किशोरियों की शरीर की लम्बाई व पुष्टता उचित मात्रा में विकसित होती है, हड्डियाँ भी मजबूत बनती हैं एवं बुद्धि का विलक्षण विकास होता है। आयुर्वेद में दूध में शहद डालकर पीना विपरीत आहार माना गया है, अतः दूध और शहद एक साथ नहीं पीना चाहिए।
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भारतीय नस्ल की गाय की रीढ़ में सूर्यकेतु नामक एक विशेष नाड़ी होती है। जब इस पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तब यह नाड़ी सूर्य किरणों से सुवर्ण के सूक्ष्म कणों का निर्माण करती है। इसीलिए गाय के दूध-मक्खन तथा घी में पीलापन रहता है। यह पीलापन शरीर में उपस्थित विष को समाप्त अथवा बेअसर करने में लाभदायी सिद्ध होता है।
गोदुग्ध का नित्य सेवन अंग्रेजी दवाओं के सेवन से शरीर में उत्पन्न होने वाले दुष्प्रभावों (साईड इफेक्टस) का भी शमन करता है।
गोदुग्ध में प्रोटीन की 'अमीनो एसिड' की प्रचुर मात्रा होने से यह सुपाच्य तथा चरबी की मात्रा कम होने से कोलेस्ट्रोल रहित होता है।
गाय के दूध में उपस्थित 'सेरीब्रोसाइडस' मस्तिष्क को ताजा रखने एवं बौद्धिक क्षमता बढ़ाने से लिए उत्तम टॉनिक का निर्माण करते हैं।
रूस के वैज्ञानिक गाय के दूध को आण्विक विस्फोट से उत्पन्न विकिरण के शरीर पर पड़े दुष्प्रभाव को शमन करने वाला मानते हैं।
कारनेल विश्वविद्यालय में पशुविज्ञान विशेषज्ञ प्रोफेसर रोनाल्ड गोरायटे के अनुसार गाय के दूध में उपस्थित MDGI प्रोटीन शरीर की कोशिकाओं को कैंसरयुक्त होने से बचती है।
गोदुग्ध पर अनेक देशों में और भी नये-नये परीक्षण हो रहे हैं तथा सभी परीक्षणों से इसकी नवीन विशेषताएँ प्रकट हो रही हैं। धीरे-धीरे वैज्ञानिकों की समझ में आ रहा है कि भारतीय ऋषियों ने गाय को माता, अवध्य तथा पूजनीय क्यों कहा है।
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